एसईसीएल का बिजारी-बरौद खदान… जहां चलता है बाहुबली ट्रांसपोर्टर का कानून
सब एरिया मैनेजर और सीआईएसएफ की सुरक्षा नहीं रखती यहां कोई मायने
बाहुबली जिसे चाहेगा उसी ट्रांसपोर्टर की गाड़ी करेगी खदान में प्रवेश
आखिर बाहुबली ट्रांसपोर्टर और सब एरिया मैनेजर में..ये रिश्ता क्या कहलाता है…?

रायगढ़। एसईसीएल के माइंस यूं तो हमेशा से ही चर्चाओं को केन्द्र बने रहते हैं मगर घरघोड़ा स्थित बिजारी और बरौद खदान इन सब से जुदा है… अलग है। कारण यह है कि इस खदान में एसईसीएल की नहीं बल्कि एक बाहुबली ट्रांसपोर्टर की चलती है। चलती है का मतलब यहां यह है कि इस खदान में इस बाहुबली ट्रांसपोर्टर के इशारे के बिना पत्ता भी हिल नहीं सकता फिर यहां गाड़ियों की क्या मजाल है कि उनके इशारे के बिना अंदर प्रवेश कर जाये। क्या सब एरिया मैनेजर और क्या सीआईएसएफ की सुरक्षा इस खदान में इनका कोई मतलब ही नहीं रह गया है।
एसईसीएल को भारत सरकार की रत्नगर्भा कंपनी कहते हैं। यहीं की पूरी सुरक्षा व्यवस्था केन्द्र की सुरक्षा एजेंसी यानि सीआईएसएफ के हवाले होती है। ताकि यहां किसी भी प्रकार की कोई गड़बड़ी की गुंजाईश ही न रह जाये मगर रायगढ़ जिले के एसईसीएल खदानों में नियमों का नहीं बल्कि सेटिंग का बोलबाला चलता है। अगर आपकी सेटिंग एसईसीएल के खदानों में है तो फिर क्या बात, आप जो चाहेंगे वही होगा, आप जितना डीओ चाहेंगे उतना मिलेगा और आपकी उतनी गाड़ियां कोयले से लोड होंगी….। जिले के घरघोड़ा स्थित बिजारी और बरौद खदान में यही खेल चल रहा है यानि सेटिंग का खेल तभी तो यहां न तो सब एरिया मैनेजर की कोई सुनता है और न ही सीआईएसएफ कंपनी के जवानों की मौजूदगी का यहां कोई असर दिखाई देता है, असर दिखाई देता है तो यहां सिर्फ एक बाहुबली ट्रांसपोर्टर का जिसके इशारे के बिना यहां कोई भी काम नहीं होता। बाहुबली ट्रांसपोर्टर जिसे चाहेगा उस ट्रांसपोर्टर की गाड़ी एंट्री यहां होती है बाकी जितना भी हाथ पांव मार ले, उसका कुछ नहीं हो पाता। यहां इस बाहुबली ट्रांसपोर्टर के कहने पर ही इंट्री चालू और बंद होती है और डायरेक्ट लाइन का फायदा केवल उन्हीं को मिलता है जिसे बाहुबली ट्रांसपोर्टर चाहता है। यहां दोनों खदानें बिजारी और बरौद एक ही सब एरिया मैनेजर के अंडर में है मगर यहां मैनेजमेंट पूरी तरह से फेल है। यहां सिर्फ दबंग ट्रांसपोर्टर की गाड़ियों के लिए ही 12 महीने और 24 घंटे विशेष सुविधा हैै। यहां इस बाहुबली की इतनी चलती है कि एसईसीएल के प्रतिबंधित क्षेत्र में उनके डीओ में लगने वाली गाड़ियों के लिए अलग से लाइन की व्यवस्था खुद सब एरिया मैनेजर द्वारा की जाती है। सब एरिया मैनेजर ने उस ट्रांसपोर्टर को इतना पावर यानि अधिकार दे रखा है कि एंट्री गेट तक पहुंचने वाली किसी भी ट्रांसपोर्टर की गाड़ी खदान के अंदर जायेगी या नहीं यह बाहुबली ट्रांसपोर्टर ही निर्धारित करता है। जिसके चलते छोटे ट्रांसपोर्टरों को यहां काफी नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। ये बात हुई बिजारी-बरौद खदान की, बाकी के खदानों में भी इस बाहुबली ट्रांसपोर्टर ने कुछ ऐसी ही व्यवस्था बना रखी है। ऐसे में एक बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर इस बाहुबली ट्रांसपोर्टर में ऐसा क्या है जिसके चलते एसईसीएल के अधिकारी तक उसके आगे नतमस्तक होने को मजबूर हैं और उसके हर इशारे पर नाचने और सिर हिलाने पर मजबूर हैं।