रायगढ़ प्रवाह। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले से महज चार किलोमीटर की दूरी पर कोसमनारा गांव का बाबा धाम लोगों के लिए आस्था का केंद्र बना हुआ है। सत्यनारायण बाबा जी 26 सालों से तपस्या में लीन हैं। ठंडी, गर्मी और बारिश का भी बाबा जी पर कोई असर नहीं पड़ता है। हमेशा अपने तपस्या में लीन रहते हैं। यह दिलचस्प कहानी है कोसमनारा वाले सत्यनारायण बाबा जी की।
रायगढ़ के इस बाबाजी के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ उमड़ती है। छत्तीसगढ़ के अलग-अलग जिलों के अलावा अन्य राज्यों और विदेशों से भी लोग दर्शन के लिए पहुंचते हैं। सावन में बाबा धाम में श्रृद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ती है। लोगों की धारणा है कि वे साक्षात भगवान भोलेनाथ के रूप हैं। बाबाजी ना तो किसी से कुछ बोलते हैं और ना ही कभी अपनी जगह से उठते हैं। यह अपने आप में चमत्कार है, जिनके दर्शन के लिए लोग दूर-दूर से आ रहे हैं।
26 सालों से तपस्या में लीन हैं बाबा
रायगढ़ प्रवाह की टीम ने जब बाबा के सेवक से बात कि तो उन्होंने बताया कि सत्यनारायण बाबा 26 सालों से तपस्या में लीन हैं। एक ही जगह पर 26 सालों से बाबाजी बैठे हैं। सत्यनारायण बाबा जी को देखने के लिए हमेशा भक्तों की भीड़ लगी रहती है। उन्होंने बताया कि 16 फरवरी 1998 से उन्होंने अपनी तपस्या शुरू की थी, जो आज भी जारी है। उन्होंने बताया कि शिवलिंग के पास बाबा की अनुमति से धुनी प्रज्जवलित की गई है। उस जगह पर तब से लेकर आज तक अखंड धुनी जल रही है। पहले बाबा जमीन पर बैठकर ही तप कर रहे थे। अब भक्तों के आग्रह पर सत्यनारायण बाबा जी चबूतरा पर बैठकर तपस्या में लीन रहते हैं।
रात में सुनते हैं भक्तों की बातें
सत्यनारायण बाबा जी के सेवक ने बताया कि कोसमनारा वाले बाबा रात को ही अपनी साधना से वापस आकर भक्तों से वार्तालाप करते हैं और रात के समय जब उनकी साधना से आंख खुलती है उसे समय से लेकर सुबह सूर्य उगने से पहले वह फिर साधना में लीन हो जाते हैं, इस दौरान वे अपने भक्तों से इशारों में बात करते हैं। लोगों का कहना है कि रात को भक्त अपनी समस्या लेकर बाबा के पास पहुंचते हैं। वे इशारों में ही समस्या का निराकरण बता देते हैं। किसी से बात नहीं करते हैं।
ये करते हैं सेवन
बाबा जी क्या खाते हैं, क्या पीते हैं और कब जागते हैं, आम भक्तों को इसके बारे में ज्यादा जानकारी नहीं है। बाबा धाम में मौजूद सेवकों में से एक ने बताया कि बाबा जी दिनभर और रातभर तपस्या में लीन रहते हैं। वे केवल रात्रि को ही आंख खोलते हैं। इस दौरान वे अपने भक्तों से मिलते हैं और इशारों में बात करते हैं। इस दौरान जितने भक्त आश्रम में मौजूद रहते हैं, उनसे मिलते हैं और उनकी समस्याएं सुनते हैं और भक्तों को उनकी समस्या का समाधान इशारों में ही बता देते हैं।
बाबा की मां ने कही ये बात
सत्यनारायण बाबा का जन्म 12 जुलाई 1984 को रायगढ़ के ग्राम डुमरपाली (देवरी) में हुआ था। वे एक कृषक परिवार में जन्म लिए थे। कहा जाता है कि बाबा बचपन से ही भोलेनाथ की पूजा कर रहे हैं। प्रेस की टीम ने जब सत्यनारायण बाबा जी की मां से सवाल पूछा तो उन्होंने बताया कि बाबा छठवीं कक्षा पास कर लिए थे और सातवीं की पढ़ाई कर रहे थे। लगभग 13-14 साल की उम्र में उन्होंने घर से निकल गए और तपस्या में लीन हो गए। उन्होंने बताया कि सत्यनारायण बाबा पहली बार गांव के ही शिव मंदिर में लगातार 7 दिनों तक तपस्या की थी। इसके बाद उन्होंने गांव से दूर कोसमनारा पहुंचे। वहीं बाबा तपस्या में लीन हो गए।